हम लोगों को पढ़ना क्यों जरूरी है....???
पढ़ाई ज़रूरी है या नहीं यह मैं आप पर छोड़ता हूँ, पर पढ़ाई की वजह से कई ऐसी दैनिक जीवन जीवन की गम्भीर और सरल समस्याएँ हैं जिन्हें हल किया जा सकता है।
उदाहरण के लिए यदि डॉक्टर मुझे एंटीबायोटिक्स की खुराक लिखता है तो मैं उस खुराक को पूरा करता हूँ चाहे बीच में हीं बुख़ार क्यों न उतर जाए। और दवा एक हीं समय पर प्रतिदिन खाता हूँ क्योंकि समय में हल्का सा अन्तर एंटीबायोटिक के प्रभावी सांद्रता में अन्तर पैदा कर देता है।
इस लापरवाही की वजह से मैंने कई लोगों को मृत्यु के द्वार पर ham logon Ko padhna kyon jaruri haiया गहन चिकित्सा कक्ष में जाते देखा है, और साधारण सी बात है पर पढ़ाई का अंतर समझ के गहराई को प्रभावित करता है ।
इसी तरह मैं अभी भी लोगों को बिना मास्क के घूमते देखता हूँ तो मुझे आश्चर्य होता है, शायद इन्होंने वायरस की संरचना, वाइरस के फैलाव में फ्रैक्टल पैटर्न और वाइरस के शरीर पर होने वाले दुष्प्रभावों को क़रीब से देखा होता ; उदाहरण के लिए दिमाग़ के श्वसन केंद्र को होने वाली क्षति , तो मास्क पहनने में ढिलाई नहीं देते।
यह भी पढ़ाई और समझ का अंतर है।
एक साधारण सी बात जैसे पानी को उबाल कर पीना शुरू हो सकता है यदि पानी को कोई माइक्रस्कोप के भीतर देख ले,और उसमें तैरते हुए अमीबा, वायरस और बैक्टिरिया को देख ले।
यदि कोई गणित में टेल डिस्ट्रिब्यूशन और उसके शेयर मार्केट में होने वाले प्रभाव को देख ले तो अपने जीवन भर की गाढ़ी कमाई शेयर मार्केट में खोने से बच जाएगा । मैंने यह ग्राफ़िक डीटेल में देखा है।
पढ़ाई का सूक्ष्म अंतर।
यदि आप फेफड़ों के सूक्ष्म संरचना फ्रैक्टल पैटर्न और प्रतिरक्षा तंत्र के कार्यविधि को समझ जाएँ तो डॉक्टर के दिए गए निर्देश आपको गहरे आयाम में समझ आएँगे , और नतीजा आप कई तरह के झोला छाप चिकित्सा उपायों से बच जाएँगे।
यदि आप ब्रह्मांड के जन्म के समय की परिस्थिति और इसके भविष्य का गणितीय अध्ययन भी करें तो आप आध्यात्मिक रूप से जागरूक हो सकते हैं, आप एक परिपक्व व्यक्ति के रूप में उभरेंगे, बशर्ते समझ गहरी और पकड़ तगड़ी हो।
पढ़ाई इतने सूक्ष्म रूप से हमारे दैनिक जीवन को प्रभावित करती है कि इसके महत्व को लिखने में कई जन्म लग जाएँगे।
पर इसके लिए सिर्फ़ अच्छे किताबों की ज़रूरत और एक जिज्ञासा से भरे दिमाग़ की ज़रूरत है, यूनिवर्सिटी या स्कूल की नहीं ।
अंग्रेज़ी में एक शब्द है “Erudite” और इसका अर्थ है वे लोग जो स्व-अध्ययन और जिज्ञासा से समझ विकसित कर लेते हैं, उन्हें विद्यालय या महाविद्यालय का मोहताज नहीं होना पड़ता ।
तो पढ़ाई यूनिवर्सिटी और प्रोफ़ेसर का मोहताज नहीं है, इसके लिए बेहतरीन किताबें, कठिन परिश्रम और जिज्ञासा से भरा दिमाग़ बस यही आवश्यक है।
फिर आप भीतर से हर दिन परिवर्तित होंगे और आपका दिमाग़ एक खुला निकाय बन जाएगा जो समस्याओं को सटीकता से हल करने में सक्षम होगा ।
इसके लिए पहले से बने हुए सीमाओं और पूर्व-अवधारणाओं का त्याग भी आवश्यक है।
अब आप स्वयं देख लीजिए पढ़ाई कितना आवश्यक है।?! या नहीं?!
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